Saturday, June 13, 2009

राम खिलावन हाजिर है

राम खिलावन संत ,सनसनाते हुए आए और धम्म से ओसरी में धरे तखत में बैठ गए सोच रहे थे कहा फस गए ,माया ने तो पहले से फसा रखा है , और ,अब ये नया लफडा ,माया से बडा तो कोई लफडा है नही फ़िर ये फसना,फ़साना क्या ?
सब माया है ,
सब काया है
कही धूप कही छाया है,गुनगुनाते हुए रामखिलावन चिंतन में डूब गए
बलभद्र चुतियाई की बाते बहुत करता है ,कल कह रहा था,
रघुवंस दुबे की बिटिया हरिहर के लौडे से फ़सी थी इसी लिए भागी थी ,कभी कुछ तो कभी कुछ कहता है ,उसकी समझ में तो कुछ आता नही ,ऊपर से हमें समझाने चला है
तभी बलभद्र ताबड़तोड़ सायकिल भगाते ओसारी से आ टकराए ब्रेक तो था नही यदि था भी तो लगते लगते लगता था ,तब तक जो होना होता था हो जाता था ,पिट पिटा जाते थे या छिल छुला जाते थे ,पर सायकिल का ब्रेक था की सुधरने की नाम नही लेता था जैसे बलभद्र ख़ुद सुधर नही रहे है और दुसरे को सुधारने में अपनी उर्जा तो उर्जा गुप्त उर्जा को भी लगाये पड़े है
राम खिलावन दस बार बता चुके है की बल्भदर बेटा उर्जा एक ही होती है सौ ,पचास नही होती है तुम्हारे भेजे में क्यो नही धसती है ये बात ,बता
बलभद्र ,को तो जो समझाना होता था वही समझते और जो नही समझाना होता था उसमे आय बाय करने लगते कुल मिला कर वो अपने मर्जी के गुलाम थे ,बिना मर्जी के कुछ नही करते थे और न ही कोई माई का लल्लू उनसे कुछ करा भी सकता था
रामखिलावन को इस बात का भी मलाल रहा करता है की फ़िर वो कुछ पूछता क्यो है जब उसे करना अपने मन का ही है क्यों मेरा समय जाया करता है ,मनमौजी लाल
फसने फ़साने की बात तो राम खिलावन को पसंद ही नही आई कभी ,उनका दर्शन बहुत स्प्रस्त्त था की माया से बडा कोई फंदा नही है जब उसमे फसे है तो फ़िर ये फसना फ़साना क्या मायने रखता है इस काया में रहते क्या कोई माया के फंदे को तोड़ पाया है रामखिलावन यह भी जानते है की माया बडी ठगनी है,
रामखिलावन ,ठगनी ,ठगने में भी विस्वास नही रखते है वो ठगे जाने में विस्वास रखते है कोई भी ठग ले ,खड़े है रामखिलावन ठगे जाने के लिए आओ और ठगों ,रामखिलावन कहते ,ठग कर करोगे kya ,rakhoge कहा ,कहा जाओगे ,वही जाओगे न jaha से आए हो ,भूल गए kafan में जेब नही होता ,तुमने yadad bana रखे हो ये बात अलग है , kisi ko batana mat nahi to pichhe पड़ जायेंगे तुम्हारे की मेरे kafan में भी bana दो ,जेब क्या करोगे ,फस जाओगे ,fasoge क्या फसे तो हो ही ,क्या कहने है ,आपके, जय हो जय हो
राम खिलावन ,इसी udhed bun में khoye हुए थे की बलभद्र की सायकिल ने unake चिंतन को जोर का jhataka दिया और वे jhatak कर बैठ गए क्यो बे, कहा से chidimaro की तरह आ रहे हो ?
kaku का बताये sunoge तो sunaau ,पंचायत का बड़ा baabu धर लिए गए है
रामखिलावन का चिंतन jari है माया है सब माया है कही धूप कही छाया है