Tuesday, March 2, 2010

सरसों के पीले पीले फूल







होली में ,रंग है गुलाल है , हम है और आप है ,तन है और मन है ,मन में मनुहार है ,गीत है ,गोविन्द है , और अपनों के सपने है, सपनो के गाव में मन में हुड़दंग है



सरसों है गांव है ,गांव में होली है ,होली में बोली है सजना की होली है

गोरी के गाल है,

और गाल भी गुलाल है 'अपनों के रहते क्यों मन में मलाल है

टेशू भी फूला है

और गेंदा भी महका है ,साजन के मन में ही

सजनी का मैका है

सजनी है साजन है ,मन में भी आगन है

तुलसी के चौरे में, दिया का जलावन है ठौर है ठिकाना है लोगो का आना है ,मेला है जीवन ,लोंगो का जाना है

फागुन और सरसों का बरसो का साथ है गाव में जब सरसों फूलने लगती है लोग फगुआ गाने लगते है फगुआ जाते है मन, तन के बंधन तोड़ ताड़ कर कहा कहा भटकता है ये वो खुद नहीं जानता ,गली गली में राधाये गली गली में कृष्ण ,मन ही मन उतर मिले नहीं पूछने प्रश्न .............




बैकुंठी में सरसों फूली है खूब सारी आपके लिए ,फागुन के गुण गुनगुना ले ,




छिप छिप के मिलते रहे अब तक कितनी बार ,गुलमोहर की छाव में पकड़ गए कचनार ........