Tuesday, August 31, 2010

बादल आये गांव में .........

बादल आये गांव में , हुई खूब बरसात
दिन तो सारा भीग गया भीगी सारी रात
नीम निबौरी खिल उठे ऐसी थी सौगात
छानी छपर चूने लगे जह तह रखी परात
पोखर डबरे भर गये नदियां में थी बाढ़
छप छप करते आये ओढ़े शाल असाढ़
फुहारे जो रिमझिम रही बनी थी वो घनघोर
दिन भर बरसी सांझ हुई फिर होने को भोर
छाता ले मुनिया चली छप छप करते पांव
सारी धूल से धुल गया वो पुरखो वाला गांव
रात ओसारी में कटी दिन में पहुचे खेत
भिनसारे की ओठनी रही ओउघायी लेत