खजुहा कुत्ताजो काफी देर से बदला लेने का इंतजार कर रहा था ,उसे मौका नहीं मिल रहा था सो इंतजार करते करते सो गया उधर डंडा पुराण फुल स्पीड में चालू था रामखिलावन बोले सुनो वत्स ............शनिचर के मुह से निकल गया सुनाओ अब तो थक गए पर धीरे से.......... आवाज ,प्रभु तक पहुचते पहुचते राह गयी नहीं तो एक नया बबाल और खड़ा हो जाता जो अभी बैठा था ,शनिचर वैसे भी बबाल मास्टर थे कही भी वे ,इस काम को अंजाम दे देते और खिसक लेते खैर .........
तब तक कुत्ता भी छपकी तोड़ ,मोड़ के बैठ गया , रामखिलावन बोले ,डंडा के कारन ही बुठापा कटता है ,डंडा बुठापे में सहारा होता है क्यों की कमर और किसी किसी के घुटने निपुर जाते है ,तब बस डंडा ही उन्हें अपना सहयोग देता है इस लिए हे वत्स जो विपत्ति में साथ खड़ा रहे ,उसकी महिमा तो अपरम्पार ही होगी कौन खड़ा होता है चलती बेरिया में सब उगते सूरज को सलाम करते है ,शंकराचार्य जैसे विद्वान डंडे के सहारे ही देश देशाटन करते थे ,देखा नहीं फोटुओ में बिना डंडे के शंकराचार्य को देखा है कभी ,ये बात अलग है की उसे दंड कहते है ,
क्रमश ................