राम खिलावन यत्र ,तत्र ,सर्वत्र हाजिर है देखे आज कही आपके पास तो नही पहुच गए
कही वे आकार लिए होते है तो , कही निराकार ,आकार से तो आप उन्हें पहचान लेगे यदि आखे हुई ,बटन नही ,पर निराकार होने ,पर कैसे पहचान पायेगे ?
राम खिलावन का चिंतन यह है की आप तो आकार लिए हो पर क्या अपने आप को पहचान पाए हो की हमें ही पहचान पाओगे ?
हम सब बाहर की दुनिया में जीते है अन्दर की दुनिया में जाने में नानी याद आती है ,
राम खिलावन कहते है
बाहर कंकर ,पत्थर ओ ,अन्दर गौरी शंकर
ये उसने कही सुन रखा था सो सब को यही बताया करता था ,
उसकी इन बातो को ज्यादातर लोग अनसुना कर देते है जैसे आप कर रहे है
कुल मिला कर राम खिलावन अन्दर का मॉल बाहर ही तो करने को कह रहे है पर कौन करता है अन्दर का मॉल बाहर , सब बाहर का मॉल अन्दर करने में लगे है ,आप की क्या राय है ,अपने बारे में ,दूसरे के बारे में न कहे तो बेहतर होगा ,पहले अपने आप से पूछ ले ,अपने आप को जान ले ,फ़िर दुसरे के बारे में जाने
राम खिलावन अपने को जानता है दूसरो को जानने की कोशिश भी नही करता क्यो करे ,जान कर करेगा भी क्या? ,आचार डालने के लायक भी तो नही hai koi
बलभद्र कहता है वो सब को जानता है ,अपने को छोड़ कर ,
ये अलग बात है की उसे कोई नही जानता
हम राम को, बलराम को ,जानते है खुदा की खुदाई को भी जानते है ,
पर अपने आप को क्यो जानने की कोशिश नही करते ?
शायद किसी ने रोका है आपको ?
राम खिलावन का चिंतन यह है की किसी ने नही आप ने ख़ुद अपने आप को रोक रखा है
बाहर आनंद है तो अन्दर , परमानद है
राम खिलावन ,मोलश्री के पेड़ के नीचे बैठे',चिंतन कर ही रहे थे की ,बलभद्र प्रशाद ,अपनी कछनी संभालते संभालते पहुच ही गए ,
रामखिलावन बोले ऐचेकताना ,कहा से सवारी आ रही है ?
का बताई ,कहा से आ रहे है ,
सोसायटी गए रहे की कुछ राशन ले आवे ,
तो का हुआ,
राशन सब ख़तम और का ,चले आए मुह लटकाए ,पता नही कोउन लईगा हमारे नाम का राशन?
बोखवा sudama bhi vahi baitha raha ham to chale aaye par wo abhi bhi baitha hai
intjar me
किसके इंतजार में ? रामखिलावन ने पूछा
सोसायटी के बाबू के और किसके ,
अच्छा अच्छा ,हम सोच रहे थे की वहा अफशर ही अफशर होते है खैर ,खुदा खैर करे ,सुदामा का
बलभद्र ,पास ही पड़े ताजे अखवार के समाचार पठने लगे
मुनाफाखोरों को बक्सा नही जाएगा ,बक्सों में बंद कर दिया जायेगा ,सुनो ,सुनों ,सुनो ,
आज की ताजा ख़बर सुनो
और कब खोला जाएगा यह सरकार तय करेगी सुनों ,सुनों ,सुनों
आज की ताजा ख़बर सुनों
रामखिलावन का ताज़ी ख़बर पर चिंतन जारी है ,
ये अलग बात है की उनके बाप रोज ताज़ी ख़बर ही पढ़ते थे ,जो दूसरे दिन बासी हो जाती थी और फ़िर वो भूल जाते थे की कल क्या ख़बर थी ,क्यो की वे वर्त्तमान में जीते थे और रामखिलावन भी अपने बाप की तरह वर्तमान को ही जीता है ,बासी बातो,खयालातो को राम खिलावन लात मारता है
बिल्कुल अपने बाप की तरह
रामखिलावन गुनगुना रहे है लागा चुनरी में दाग छिपाऊ कैसे ,घर जाऊ कैसे ,लागा चुनरी में दाग ............