रामखिलावन ,बलभद्र को समझा रहे थे ,
बेटा ,प्रेम के लिए पड़ोस की जमीन बड़ी उपजाऊ होती है
निगरानी भी बनी रहती है
कोई आवारा जानवर तो नहीं घुस रहा है , तुम्हारी जमीन में यदि घुसा या घुसने की कोशीश भी करता दिख जाता है तो ,फसल ख़राब करने या चरने के पहले ही तुम उसे दे ,धमकते हो और वो मिमियाते ,दोनों टांगो के बीच दूम दबाये ,दबी में खिसक लेता है ऐसे जैसे गलती से माता के दरबार में मथा टेकने जा पंहुचा था ,मनौती पूरी हो गयी समझ कर रोट बताशा और चठाता है दूसरी बार उधर देखना भी गुनाह समझाता है ,सोटाई जो इतनी घलती है ,सब प्रेम व्रेम धरा रह जाता है बस सेकाई भर याद रहती है
भैया बलभद्र वैसे तो तुम प्रेम व्रेम के फ्रेम में अपने को न जड़ लेना नहीं तो जड़े ही रह जाओगे ,खड़े भी न हो पाओगे
फिर न कहना की दादा अब का करी , अंडा करी में बस, अंडा की तरह लहराओगे ,छिलके उतार के
बलभद्र ,रामखिलावन का प्रेम के बारे में उनका व्याख्यान अनमने मन से सुन रहे थे क्योकि मन तो दे आये थे जहा देना था ,तन था जो और तनतना और रहा था ,रामखिलावन की रामलीला देख कर
बलभद्र को रामखिलावन , रावन से कम नहीं लग रहा था इस वक्त ,रामखिलावन ,बलभद्र को फूटी आँख नही सोहा रहे थे
प्रेम में टोका टाकी वर्जित होना चाहिए ऐसा बलभद्र का मानना था
प्रेम के बारे में बलभद्र की अलग फिलाशफी थी ,जैसे प्रेम कभी नहीं मरता , चाहे खुद मर जाये
प्रेम कही भी फसफासा सकता है ये जरूरी नहीं की प्रेम केवल पड़ोस में ही किया जाये ,ये बात गले उतरती है,ठीक भी लगती है , कि प्रेम के लिए पड़ोस की जमीन बड़ी उपजाऊ होती है लेकिन अब तो नई नई तकनीके आ गयी है ,नए नए बीज आ गए है ,हाईब्रीड बीज आ गए है बाजार में ,खादे ,तरह तरह की आ गयी है ,और ये रामखिलावन है कि ,लगे है अभी भी गोबर की खाद में फसल उगाने ,खुद मरेंगे और दूसरो को भी मरवाएंगे
प्रेम के बारे में बलभद्र का दर्शन बड़ा विकट था , जो केवल निकट से ही समझा जा सकता था
बलभद्र का यह कहना और सोचना था कि ,प्रेम केवल निकट से ही ,निकट में ही किया जा सकता है क्योकि ,दूर के ठोल, सुहावने भर दिखते है , होते नहीं है
प्रेम के बारे में उनके विचार बड़े मौलिक तो थे ही साथ ही साथ वो भयंकर सुन्दर भी थे वे प्रेम के वर्तमान स्वरुप में ही विश्वाश रखते थे भूत काल के प्रेम को वे भूल जाने को कहते और भविष्य काल के प्रेम में उनका कतई विश्वास नहीं था
उनका यह भी मत था कि जब भी मौका लगे ,या सधे ,प्रेम व्रेम कर कुरा लो , नहीं तो कही मरमूरा गए तो बस एक बंगला बने न्यारा भर रह जायेगा जो कभी नहीं बनता