Thursday, June 17, 2010

गैस है तो रिसेगी ही

बहुत दिनों बाद आज रामखिलावन के चक्कर में बलभद्र पड़े ,माहौल आन मिलो सजना सा हो चला था ,बलभद्र रामखिलावन से पूछ रहे थे दादा गैस और हवा में क्या अंतर होता है सुनो इस तरह के ज्वलंत प्रश्न हमसे न पूछा करो कितनी बार कहा है और तुम हो की सुधरने का नाम नहीं ले रहे रहे हो ,फिर वही लफड़े वाले कश्चन आनषर सुनो ये राम लीला बंद करो और सुनो चुपचाप पालथी मार के बैठो नहीं तो andarshan दर्शन दे देगा और फिर अंतर्ध्यान हो जायेगा ,मरे मरे फिरोगे फिर ,इन्कलाब जिंदाबाद करते ,जो हमसे टकराएगा चूरचूर हो जायेगा खुद चुर चुर हो गए है चिलाते चिलाते ये नहीं दिख रहा है उन्हें खुद इंसाफ की लड़ाई लड़ रहे है और जिंदगी फास हो गयी है बॉस की न बोलते बन रहा है न चिल्लाते

जब गैस और हवा में फर्क ही देखना है तो सुन जो फर्क हिंदुस्तान और अमेरिका में है वही फर्क गैस और हवा में है ,समझा गैस हिंदुस्तान में निकलती है और हवा अमेरिका में बहती है ,अमेरिका में बहने वाली हवा हिंदुस्तान आते आते गैस में बदल जाती है और फिर निकल भागती है हवा जब अमेरिका में बहती है तो वह मंद मंद बहती है मुस्काती है महकती है मदमस्त करती है और वही जब सात समुन्दर पार कर हिंदुस्तान आती है तो थक जाती है सफ़र भी लम्बा है थक थूका कर सो जाती है उठती है तो गैस के रूप में निकलती है विभस्त रूप में अस्त्वस्त कर देती है गंधाती है लोगो को समूचा लील लेती है उसके लीलने से जो बचते है वो इन्कलाब जिंदाबाद करते है गैस निकल कर फिर अमेरिका पहुच जाती है वहा पहुच फिर अपने मूल स्वरुप हवा में बहने लगती है मंद मस्तानी । गैस जो हिंदुस्तान में लोगो की हवा निकाल चुकी होती है अमेरिका में मंद मंद बहती है ,जहा से निकलती है वह स्थान दर्शनीय हो जाता है निकालने वाले अंतर्ध्यान हो जाते है हमारे देश के अमरीकी पण्डे दान दक्झिना ले कर जजमान की विदाई कर देते है जाओ जाओ अपने देश ये देश पराया है अपने देश में जा कर बहो फिर जब निकलना हो तब आना ,फिर निकलना फिर नजराना देना जय हो जय हो .करते पण्डे अपने को चना मुर्रा बाटने में व्यस्त कर लेते है हम आप जो अपने आप को ज्ञानी मान बैठे है महा ज्ञानियों के चक्कर में सुध बुध खो खा कर जिंदाबाद- जिंदाबाद ,मुर्दाबाद -मुर्दाबाद के मंत्र गुनगनाने- भुनभुनाने लगते है

सुना बलभद्र हवा और गैस में क्या अंतर होता है ?

बलभद्र को जैसे सब कुछ समझ में आ गया था के भाव चहरे पर उतराने लगे थे

दादा हवा बहती क्यों है और गैस निकलती क्यों है क्या गैस बह नहीं सकती और हवा निकल नहीं सकती ?

बेटा सब कुछ हो सकता है समय और परिस्थिति के साथ सब बदला बदली हो सकती है युग के साथ जैसे सब बदलता रहता है मन बदलते है तन बदलते है भाव भंगिमाए बदलती है मौसम बदलते है ऐसे ही गैस हवा में और हवा गैस में बदल सकती है ,हा हा दादा समझ में आया .............जैसे हम मुह से या नाक से हवा लेते है और पिछवाड़े से गैस भो से या पो से निकालते है कुछ लोग तो बिना आवाज के भी हवा को गैस में बदल देते है क्या कमाल करते है किसी को कुछ पता भी नहीं चलता और हवा गैस में बदल जाती है और निकल कर फिर हवा में बदल जाती है है न कमाल ..........पंडो पुरोहितो को भी पता नहीं चल पता नहीं तो जिंदाबाद मुर्दाबाद भुनभुनाने लगते क्या बात है दादा मान गए ..........

suno















गैस