Monday, January 31, 2011

जमीनी हकीकत

राम खिलावन और बलभद्र अपनी चिर परिचित मुद्रा में बैठे बतिया रहे थे सामने ताजा-ताजा अखबार फैला हुआ था जिसे रामखिलावन दादा ने हेड लाइन से ले कर अंतिम पृष्ठ तक पठ चुके थे अब वे उसे बोख्बा बारी को देने वाले थे जिसे वे रोज की तरह आवश्कतानुसार अपनी भट्टी को समर्पित करते
गांव के विद्वान ,मनीषी ,उजबक जब सब दीन दुनिया की खबरों से रूबरू हो जाते तो फिर भला अखबार का और क्या काम वो बोखाबा बारी के हाथो अपने आप को अग्नि में समाहित कर स्वाहा स्वाहा हो जाता
अखबार में एक खबर गर्म थी सो उसी को ले कर रामखिलावन बतिया रहे थे ,दूर गांव के एक किसान ने कामधेनु योजना के अंतर्गत अपने खेत में कुआ खुदवाया था सरकारी योजना के तहत एक साल में ही कुए की जुड़ाई सरक गयी सरकार की तरह धस अलग गया ,किसान ने इसकी शिकायत जिले के कलेक्टर से की सो सरपंच पर बन आई ,सरपंच ने किसान की ऐसी तैसी कर दी बेटा कुआ खुदवाया उसमे पानी भी निकला दीवार धस गयी तो मेरी शिकायत कर आये अब बेटा पियो पानी गांव में तो जाने अब ससुरे तुम्हारा पानी न निकला तो कहना बेचारा किसान गांव छोड़ राजधानी में दस दिन से दल बल सहित डेरा डाले है मुख्य मंत्री से मिलने उन्ही से कहेगा सब कुछ और वो है कि मिल नही पा रहे है वो मिले भी तो कैसे प्रदेश के विकास में दिन रात एक किये है
विकास की दर प्रदेश में क्या देश में बठ रही है रामखिलावन बोले भैया विकास दर बठ रही है कि विनाश दर ..............