
राम खिलावन सरकार को सरकते हुए देख रहे थे ,सरकते सरकते सरकार ,बेकरार हो गई थी ,राम खिलावन का चिंतन था की सरकार , बेकरार नही बेकार हो गई थी , बेकरार हो कर सरकार कुछ कदम उठाना चाह रही थी ,लेकिन उठा नही पा रही थी ,कोई कह रहा था की ,लकवा लग गया है ,राम खिलावन कह रहे थे की बहुत दिनों तक जिस अंग का उपयोग नही करोगे ,तो क्या होगा , यही होगा बलभद्र जो पास ही ताजे अखबार की सुर्खियों से ले कर ,सब कुछ पठने में तलीन थे अचानक बोल पड़े वही होगा जो मंजूरे खुदा होगा राम खिलावन बिफर पड़े ,ये क्या बात हुई ,जो सरकार को मंजूर होगा वह क्या नही होगा ? काहे को होगा ,बलभद्र बोले ,राम खिलावन से रहा नही गया ,बोले ,क्यो बे क्यो नही होगा ?
काकू तुम भी न ,कभी कभी जान के भी अनजान बने रहते हो ,हा ,हा बोलो बोलो क्या बोलना चाह रहे हो बे ,
काकू क्या तुम्हे मालूम है की खुदा की क्या मर्जी है ,जो हो जाता है वही तुम खुदा की मर्जी समझ लेते हो ,और कहते हो की यही खुदा की मर्जी है ,खुदा की मर्जी के आगे किसकी क्या चली है ,बोलो यही कहते हो ना हा बे यही कहता हु आगे बोल, राम खिलावन अपनी भ्रगुती तानते हुए बोले , काकू सुनो _क्या सरकार भ्रस्ताचार फैलाना चाहती है ?बलभद्र अपनी कछनी को एक विशेस दिशा की और घुमाते हुए बोले
राम खिलावन बोले _नही तो और हमने सुना भी नही की सरकार की कोई मनसा है ,तो फ़िर काहे बगरा है चारो और बिना सरकार की कोई योजना के ?,यह मान लिया जाए की सरकार की योजना के बिना भी बहुत सी योजनाये चलती रहती है क्या ? राम खिलावन भौचके से बोलते और सुनते रहे और यह भी सोच रहे थे की बलभद्र को ये कैसी बाते सूझने लगी है ये तो फिलासफर जैसी बाते करता है साला
बलभद्र बोले काकू ,सुनो जब खुदा की मर्जी के बिना कोई पत्ता नही हिलता तो बिना सरकार के मर्जी के कुछ हिल सकता है कोई योजना चल सकती है क्या तुम्ही बताओ
तो क्या यह मान लिया जाए की खुदा की और सरकार की मर्जी एक है और दोनों मिले हुए है और हम खुदा के बन्दे यहाँ अपनी.....................
कुल मिला , कर धक्का खाए गाजी मिया , मजा मारे मुजफ्फर
यही राम खिलावन का चिंतन उभर कर bahar आया
खैर जो हो,सो हो ,राम खिलावन आज बलभद्र की bato से avibhut हो चले थे और सोच रहे थे की बलभद्र को अपनी gaing में samil कर कुछ बुरा नही किया है बलभद्र के ये krantikari विचार सुन कर राम खिलावन की pulli thhili हो गई थी चिंतन कर रहे थे की क्या बलभद्र सही कह रहा था की दोनों मिले हुए है ,कुछ न कुछ तो है
और ये कुछ को तो राम खिलावन
pahale से ही talash रहे है ,मिला नही ये अलग बात है
राम खिलावन का चिंतन jari है ,बलभद्र अपनी
saykil में sawar हो दूर निकल गए थे कुछ ये gungunaate हुए ...........
ये malik तेरे बन्दे हम ..............
ease हो हमारे करम ......................................
No comments:
Post a Comment