Sunday, June 14, 2009

हम है पखेरू बहुत दूर के

भारत भवन भोपाल , में सालो साल पहले पधारे ए़क कवि की कविता की कुछ पक्तिया ,
आपके लिए
प्रेम से तुम सुनो ,और
सुन कर गुनो,
मन मिलाओगे, तो मन से ,
जुड़ जायेगे ,
वरना हम है ,
पखेरू बहुत दूर के ,
बोलिया ,बोल अपनी ,
उड़ जायेगे

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