Friday, April 2, 2010

रिश्ते मर गए है

रामखिलावन मन, ओरमाये खटिया पे उतान पड़े थे
बलभद्र लोटन कबूतर की तरह जगह जगह का स्वाद लेत -देत ,उठते -गिरते,धम्म से रामखिलावन की ,खटिया के पास आ धमके और रामखिलावन के मन में आ जा रहे
विचारो में खलल पैदा कर दी ,रामखिलावन के मुह से कोई शुद्ध देशी गाली निकलने ही वाली थी की अचानक रुक गयी क्यों रुक गयी ये उन्हें भी नहीं मालूम पड़ सका वे स्तभ्य से रह भर गए जैसे देशी कट्टे से कारतूस निकने के पहले चलते ही किच्च बोल दे और धरे के धरे रह जाये इस बीच दुश्मन अटैक कर दे ,सो अलग मर मुरा जाये तो कोई बड़ी बात नहीं

रिश्ते मर गए है हम जिन्दा है क्यों जिन्दा है मौत नहीं आई कब आयेगी , पता नहीं इसे छोड़ , सब मालूम है ,कुछ भी पूछा लो पूरब- पश्चिम ,उतर-दखिन ब्रम्हा ,विष्णु ,महेश सब जानते है भैया ,पड़ोस की खबर नहीं होनालूलू के बारे में जानते है खुद को छोड़ सब को जानते है भैया ,बोलो क्या उखाड़ लोगे
रिश्ते बनते ही है , टूटने के लिए ,जैसे हम- तुम ,रिश्ते जिए जाते है जीने के लिए हम-तुम मरे जा रहे है जीने के लिए ,लगता है कि कुछ अंतर है इबारत में
रिश्ते बनते है तो निभाए भी जाते है जो नहीं निभाते वो रिश्ते नहीं स्वार्थ है ,रिश्ते स्वार्थी नहीं होते हम-तुम स्वार्थी होते है ,जैसे हम -तुम होते है वैसे ही हमारे रिश्ते हो जाते है
रामखिलावन यही सब सोच रहे थे कि सब गुड -गोबर हो गया ,बलभद्र आ गया
नहीं दादा बोलो बोलो सुने तो रिश्ते क्या से क्या हो गए क्यों मर रहे है जब कि हम जिन्दा है
चिंतन और चिता एक साथ भला कैसे हो सकते है ,जहा चिंतन है वह चिता नहीं हो सकती और जहा चिता है वहा चिंतन कैसे हो सकता है ,हा समसान वैराग्य से सनसनाये वैरागी ,मनीषी जरूर मिल जाते है अड़गम बगड़म करते उन्ही को हम पहुचे हुए मान लेते है जानते कुछ नहीं बस मान लेते है ,कौन सर खपाए जानने के लिए मान लो ,मानाने में क्या बिगड़ता है ,हम तो शूरू से माने बैठे है माना कि अ ब स एक त्रिभुज हैहै, भैया अब क्या कर लोगे क्या उखाड़ लोगे न भी हो तो
रिश्ते कोई दाग नहीं है कि सर्फ़ एक्सल से धो लिया और चल दिए ,पेट का दर्द नहीं है कि पुदिन हरा पिया और सब ठीक हो गया ,इनो पियो और जियो
क्या बात है ,कुछ रिश्ते खुद बनते है कुछ बनाये जाते है जो खुद बनते है उसमे खुदा की मर्जी होती है और जो खुद बनाये जाते है उसमे खुद की मर्जी होती है मर्जी का अन्तर
हमें कहा से कहा पहुचाता है क्या क्या कराता है ये तो आप को भी मालूम होगा कि बताना होगा ? नहीं ...........बताये ..........अरे का कर रहे हो पोल न खुलवाओ ,खुल जायेगी तो का होगा रामखिलावन बोले
बलभद्र बोले जाने दो दादा जाने दो अ ब स एक त्रिभुज है
कहा गयी वो नानी की कहानिया ,नानी तेरी मोरनी को मोर ले गए बाकि जो बचा था काले चोर ले गए .........................
घर बड़े हो गए है दिल छोटे हो गए हैओहदा बड़ा हो गया है ,सोच छोटी हो गयी है अपने लिए दयालु दूसरो के लिए मर्यादित हो गए है बोलो बलभद्र कुछ तुम भी बोलो ......
का बोले बोलने को अब बचा ही का है
रिश्ते सस्ते हो गए है
रिश्ते किस्से हो गए है
रिश्ते मर गए है .................



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