Monday, May 11, 2009

रोज की तरह आज फ़िर सूरज ऊगा ऊगता तो वो है जो बोया जाता है फ़िर क्या है ये सब क्या कुछ बिना बोए ऊगता है प्यार के बीज भी तो बोने होते है बिना बोए क्या प्रेम पल्वित होता है जो उगता नही मरता नही वही तो जो जन्मता नही वो मरेगा क्या जन्म के पहले भी सूरज और म्रत्यु के बाद भी सूरज रहेगा और था फ़िर उगाना ऊगना क्या है ?

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