Thursday, June 11, 2009

राम खिलावन हाजिर हे.

राम खिलावन आज नहा धो कर तरोताजा तरबूज की तरह महकते मंद मंद मुस्कुराते ओसारी के नीचे खटिया में पड़े `कुछ ' सोच रहे थे क्या सोच रहे थे वो सोच रहे थे की ये कुछ है क्या बला?जब भी कोई लफडा होता है या न भी ho सामान्य रूप से भी तो भी सब यही कहते कुछ तो है,इसी कुछ को राम खिलावन खोज रहा है की कैसे मिलेगा कुछ मिलेगा तो पुछुगा की तू है क्या बे ?राम खिलावन की यह धारणा है की स्रास्टी के उत्पन होने के पीछे भी कुछ तो रहा होगायही कुछ आज राम किलावन का दिमाग ख़राब किए है
ये कुछ ,जो है निराकार है वह कही भी बिना स्वरुप के होता है पर उसे लगता है की बिना आकार के,स्वरुप के वह हो कैसे सकता है भगवान है क्या ?नही कटाईकुछ न कुछ तो है पर ,साला दिखता नही है जैसे हवा,ये भी तो कहा दिखती है,पर रहती है ,चलती है महसूस होती है फ़िर सोचता है की हवा तो प्रकति का हिस्सा है तो क्या यह मान लिया जाए की कुछ भी प्रकृति का हिस्सा है राम खिलावन सोच रहा था की यह क्या अजन्मा है ,इसकी कोई भोतिक काया भी नही दिखती है की गला पकड़ लू और पुछू की क्यो बे तू है क्या ?राम खिलावन इतना तो समझा गया था की कुछ तो लफडा है कुछ के साथ तभी तो दिखता नही फ़िर सोचने लगा की भगवान भी तो नही दिखता ,परवरदिगार खा छिपे हो ,मोहन प्यारे दर्शन दो घनस्याम मोरी अखिया प्यासी रे ............पर खा प्यास बुझती है जिनकी प्यास बुझानी थी द्वापर ,त्रेता में बुझ गई अब तो रटते रहो प्यारे मोरी अखिया प्यासी रे ,प्यासी ही रहेगी अखिया इन अखियो से जब तक कुछ को नहीं लोंगे कुछ भी नहीं मिलेगा समझे
कल ही कोई ख रहा था की रघुवंस दुबे की बिटिया हरिहर के लौडे के साथ भाग गई ,पास में खड़े बलभद्र जिन्हें बिना बोले रहा नहीं जाता ,अपच की बीमारी से ग्रसित है कुछ रहा होगा ,तभी तो भागी है कुछ न होता तो क्यो भागती भला राम खिलावन सोचने लगा मतलब कुछ लड़कियों को भगाने में अपना योगदान देता है ये तो बडा लफडे वाला लगता है क्या किया जाए कुछ के लिए कुछ करना पड़ेगा ऐसा मन राम खिलावन का हो रहा था वे चुपचाप इसी mishan में लगे है की कुछ मिले तो कुछ करे pahale तो कुछ को दे marege फ़िर कुछ karege पर जब मिले tab na
ramkhilavan का कुछ को ले कर vichalan swabhavik है manav है आप जैसा नहीं की कुछ को dudane की कोशिश क्या सोचते भी नहीं है आप अकेला ramkhilavan क्या डूड payega कुछ को ,कुछ तो tamam bagra है पर पकड़ में नहीं आ रहा है यही तो smasya है,बलभद्र के ऊपर से तो उसका vishvas tb से ud गया जब से उसने कहा था की रघुवंस की बिटिया भागने में भी कुछ था tb भी उसने उसे पकड़ा नहीं पकड़ लेता कुछ karata चाहे न मेरे पास तो lata फ़िर में dekhata उस कुछ को पर नहीं bolege jarur कुछ था ,कुछ है पर pakadege नहीं मेरे पास layege नहीं सब sale कुछ से मिले jule है ऐसा लगता है
कभी कभी ramkhilavan यह भी सोचता है की कही कुछ लोग कुछ के पीछे तो नहीं पड़े है hath धो के कुछ karata चाहे कुछ भी न हो और ये सब कुछ का नाम ले कर उसे badanam कर रहे हो ramkhilavan chintak की mudra में kafi देर तक इसी bat पर चिंतन करते रहे ,chinta तो वे करते नहीं ये आप भी jante है क्यो की chaturai ghatati है
कुछ तो कुछ है पर ये वही janate है जिन्हें कुछ कुछ होता है आप को हुआ है क्या ?कुछ कुछ ramkhilavan यह सोचता है की ये कुछ कुछ कैसा होता है ?आकार लिए होता है या फ़िर निराकार ही होता है वह यह भी सोच रहा है की कुछ और कुछ में अन्तर होता है ऐसा aabhash उसे हुआ और वह achakchiya के ud baida की are कुछ है वह उसे dudane लगा khub duda पर मिला नहीं ,ये कुछ भी क्या bla है ,है भी ,पर है भी नहीं
baharhal राम खिलावन कुछ को खोजने में prayasrat है जिन्हें उनके bap भी नहीं खोज paye पर ramkhilavan का कुछ पे चिंतन jari है

No comments:

Post a Comment