राम खिलावन का यह चिंतन है की जो धारण किए हो वही धर्म हैजैसे आग _जलना और जलाना धारण किए हुए है अतःआग का धर्म हुआ जलाना और जलाना
पानी _शीतलता ,फूल_महकना ,और प्रथ्वी _सहना धारण किए है
धर्म का मतलब जो धारण किए हो
रामखिलावन ने बलभद्र जो पास ही तमाखू घिस रहे थे से पूछा _
न बे बल्भदर ,आप भी कुछ धारण किए है या फ़िर हर हर गंगे
बलभद्र जिनके मुह में बबासीर है बोले _हम तो जाघिया धारण किए है ,तो हमारा धर्म क्या जाघिया हो गया ?
रामखिलावन बोले अबे ,हर हर गंगे ,ये ध्यान ,धारणा ,समाधी की बाते है ,तू नही समझेगा
बलभद्र बोले तो कौन समझेगा ?जो जाघिया धारण नही किए है ,वो समझेगे ?
बताओ रामखिलावन
रामखिलावन चुप्पी साध लिए ,कौन इस नमूने के मुह लगे
बलभद्र ,रामखिलावन की चुप्पी तोड़ने की नाकाम कोशिश करते रहे ,पर रामखिलावन तो रामखिलावन ,चुप ,तो चुप समझदार के लिए तो इशारा ही काफी है
ऐसा राम खिलावन का सोचना है
वैसे आप जो चाहे सोचे ,सोचे या नोचे राम खिलावन के चिंतन के चिंतन को कोई खलल नही पड़ता
रामखिलावन सोच रहा है की खुदा ने, भगवान ने ,परवरदिगार ने जिसने भी हमें इस लोक में भेजा है पता नही ,पर मानव बना कर ही भेजा और हम क्या बन गए ,यदि मानव बने रहते तो मानव धर्म ही निभाते ,रामखिलावन की जासूसी निगाहे सब देख रही है की कौन मानव है और कौन दानव
रामखिलावन सोच रहा है जो मानव बन कर अवतरित हुए थे और दानव बन गए है और वे दानव धर्म निभा रहे है तो कोई बात नही ,पर ,यदि आप ,अपने आप को मानव समझ रहे है और धर्म निभा रहे है दानव का तो क्या कहने ,हर हर गंगे
रामखिलावन यह भी जनता है की अब तो दानव पैदा ही नही हो रहे है द्वापर,त्रेता होता तो कहा भी जा सकता था अब तो केवल मानव ही पैदा हो रहे है और धर्म निभा रहे है .............................?का
रामखिलावन का चिंतन यही है की क्या हम मानव होते हुए मानव धर्म निभा रहे है ?
निभा रहे है तो जय हो जय हो नही तो --------------------?
रामखिलावन का चिंतन जारी है
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