Saturday, June 20, 2009

राम खिलावन हाजिर है



कहो कहा हो ,मोहन प्यारे ,राम खिलावन मन ही मन ,खोज रहे थे ,और वो मिल नही रहे थे ,मिले भी कैसे जब हो तब ,बलभद्र अपनी अकल से बोले ,कहे दिमाग ख़राब किए रहते हो दादा ,ये सब खोज बिन में ,और अगर मिल भी गए तो का करोगे ,देश को सुधारोगे या प्रदेश को ,कलजुग लगा है तुम्ही बताते फिरते हो ,का कर लेगे, का जुग बदल देगे राम राज ले आयेगे ,ठेले में रख कर, का राम राज भाजी तरकारी है की लो ले आए राम राज |धरो अब सिरहाने | राम राज को |का होगा जरा हमारा भी ज्ञान vardhan किया जाए ,बलभद्र ये बोल कर palthi मार के viraj गए |राम खिलावन बोले ,बेटा बलभद्र ,तुम नही samjhoge ,ये राम राज की bate ,जब नही samjhenge तो काहे को आए राम राज ,तो का तुम ये samjhate हो की तुम जो राज अभी चल रहा है उसे jante हो ? बलभद्र एक नेक नागरिक की तरह बोले ,नही ,तब राम खिलावन बोले ,तो का जानते हो ?

बलभद्र बोले हम तो , तुमहि जानते है |

काहे ,और सब मर गए का ,की नही ,जानते ?

ये सब राज kaj की बातें है ,भइया का jaano और जान के करोगे भी का ,कौन तुम्हारे पास राज पात है ,तुमहि तो बस pakti में lagna आना चाहिए ,आता है की वो भी नही आता ?

वो का होता है ? बलभद्र बोले

कतार ,बे laain एक के बाद एक ,एक के pichhe एक समझे की abhu नही ,वो तो हम हर दिन करते है कभी इस में कभी उस में ,

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