म्रत्यु लोक में जन्मे उन लोगो में से जिन्हें वापस स्वर्गलोक जाना है ,रामखिलावन और बलभद्र भी है आप तो भूल ही गए क़ि आप को भी देर सबेर जाना है क्यों क़ि जो गुडा~भाग करने में आप व्यस्त है, उससे तो नहीं लगता क़ि आपको कही और जाना है, बस आ गए अब कहा ,क्यों क़ि तैयारी और रखवारी तो ऐसे हो रही है क़ि बस पूछो मत ...........
राम खिलावन और बलभद्र ,गांव से कुछ दूर बनी पुलिया पे बैठे पुरानी बाते बतिया रहे थे बातो का दायरा , गांव की राड़ी दुखाई से ले कर बम और अटमबम और उससे होता हुआ दायरा चुनाव ,लोक सभा ,विधान सभा के चुनाव ,राजतन्त्र से होता हुआ लोकतंत्र की गलियों में घुस गया था ,गुदई लोफराई ,कट्टा सट्टा की बाते ,जवानी और सांडे के तेल का प्रयोग ,बंगाली दवाखाना की दवाई ,समसान का भूत ,भारतीय रेल में बिना टिकट यात्रा का जुगाड़ ,राजनिती के दंगल में दाव पेंचो की संभावनाओ पर विचार चल रहा था ,वो प्यारे लाल पंसारी के घर हुई डकैती की पड़ताल ,परिवहन निगम की माली हालत और सरकार के उठाए गए ठोस गदम की चर्चा जो कमजोर साबित हुए ,ईमानदारी और सरकार की पारदर्शी शासन प्रडाली पर बहस कर रहे थे ,मैटनी शो में पैदा हो रहे होनहारो का भविष्य ,शहर में बह रही प्यार की बयार की चर्चा ,इस महगाई में दो जून खाने का जोगाड़ ,गाय और भैस के दूध में पानी की मिलावट का तुलनात्मक अध्ययन बकरी का दूध गाँधी जी के बाद किसी नेता ने क्यों नहीं पिया , इस रहश्य को भी खोलने का प्रयास कर रहे थे लेकिन खुल नहीं रहा था ससुरा
भ्रस्टाचार भाड़ में जाये ,हनुमान जी के शरीर में पुते सिंदूरी रंग की व्याखा,पिछली रामलीला में हुई आरती के पैसो की हेराफेरी ,महंत की कारगुजारी और स्कुल के माट्साब के स्कुल की ही लोअर ग्रेड अध्यापिका से अवैध संबंध की चर्चा ,बिजली की लुक्का छिप्पी और सरकार का फिर बेहोस कदम,मार्किट में चलने वाले कैशिनो में आज कल कौन जीत और कौन हर रहा है ,कौन किससे पिट रहा है और क्यों ,सरकार की उन्नत योजनाओ का क्रियान्वयन ,असफलता के कारन ,पटवारी और कानूनगो की प्रसाशनिक पकड़ ,तिरसठा साल के बाद भी पानी का रोना ,सड़क का हर साल टूटना और नेताओ के आस्वाशन,बीटी बैगन ,पर्यावरण के नाम पर बडो बडो का आसू बहाना ,न जाने किस किस विषय पर दोनों चर्चा करते करते रात हो चली दोनों उठे और अपने अपने घर चल दिए ,कल फिर सुबह होगी, फिर दोनों चर्चा करेंगे हा चलते चलते यह तय हो गया था की हम सुनहरे कल की ओर बढ़ रहे है लेकिन तभी रामखिलावन बोले भैया बल्भदर ,हम सुनहरे कल की ओर बढ़ नहीं रहे है बढ़ गए है ....................
This blog is very funny, most of the peoples who generally discuss in these matters, but the way of expressing, the style of presentation is excellent.
ReplyDeleteI have gone through your past glogs also, the name what you have chosen RAMKHILAWAN is very creasy. I wanted to know the origin of this beautiful name? How it come to your mind? I am creasy to know about it...
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